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सबसे कीमती वस्तु
Fun Story सबसे कीमती वस्तु:- एक बार महाराज कृष्णदेव पड़ोस के राज्य पर जीत हासिल करके विजयनगर लौटे, अपनी इस जीत को यादगार बनाने के लिए महाराज कृष्णदेव के मन में विचार आया कि क्यों न नगर में विजय स्तंभ बनवाया जाए।
स्तंभ बनाने के लिए महाराज ने राज्य के सबसे हुनरमंद शिल्पकार को तुरंत बुलवाया और उसे काम सौंप दिया। (Fun Stories | Stories)
महाराज के आदेशानुसार शिल्पी भी अपने काम में जुट गया और कई हफ्तों तक दिन-रात एक करके उसने विजय स्तंभ का काम पूरा किया। जैसे ही विजय स्तंभ बनकर तैयार हुआ, तो महाराज समेत सभी दरबारी व नगरवासी शिल्पकार की कला को देखकर उसके कायल हो गए।
शिल्पी की कारीगरी से प्रसन्न होकर महाराज ने उसे दरबार में बुलाया और इनाम मांगने को कहा। शिल्पकार अपनी कला में माहिर होने के साथ ही स्वाभिमानी और बुद्धिमान भी था। शिल्पी को लगा कि अगर वह कुछ नहीं मांगता, तो महाराज नाराज हो सकते हैं। अगर वह कुछ लेता है, तो वह उसके स्वाभिमान और उसूलों के खिलाफ होगा। (Fun Stories | Stories)
ऐसे में कुछ देर सोचने के बाद शिल्पकार ने साथ लाए अपने औजारों का झोला खाली किया और खाली झोले को महाराज की तरफ बढ़ाते हुए कहा- "इनाम स्वरूप इस झोले को दुनिया की सबसे बहुमूल्य वस्तु से भर दीजिए।"
शिल्पी की बात सुनकर महाराज सोच में पड़ गए कि ऐसी कौन सी वस्तु है...
शिल्पी की बात सुनकर महाराज सोच में पड़ गए कि ऐसी कौन सी वस्तु है, जो सबसे बहुमूल्य है। राजा ने काफी सोचने के बाद कहा- "इस दुनिया में हीरे जवाहरात से बढ़कर और क्या कीमती हो सकता है? चलो, मैं तुम्हारा ये झोला उसी से भर देता हूं।"
महाराज की बात सुनकर शिल्पी ने इनकार में सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं महाराज, हीरे-जवाहरात इस दुनिया में सबसे कीमती नहीं हैं। मैं वो कैसे ले सकता हूं।” (Fun Stories | Stories)
संयोगवश उस दिन तेनालीराम दरबार में मौजूद नहीं थे। किसी से भी समस्या का समाधान न मिलने पर महाराज ने तुरंत तेनालीराम को बुलाने का आदेश दिया। महाराज का संदेश मिलते ही तेनालीराम तुरंत दरबार की ओर निकल पड़े।
दरबार पहुंचते ही तेनालीराम ने सबसे पहले महाराज को प्रणाम किया और फिर समस्या को समझ कर शिल्पी से उसका खाली झोला मांगा।
शिल्पकार से झोला लेकर तेनालीराम ने उसके मुंह को खोला और हवा में 3-4 बार ऊपर नीचे हिलाकर थैले के मुंह को बांध दिया। इसके बाद तेनालीराम ने झोला शिल्पी की ओर बढ़ाते हुए कहा- "अब आप यह झोला ले सकते हैं, क्योंकि मैंने इसमें दुनिया की सबसे कीमती वस्तु भर दी है।" (Fun Stories | Stories)
शिल्पकार ने भी झोला थामते हुए तेनालीराम को प्रणाम किया और फिर महाराज से अनुमति लेते हुए औजार उठाकर सभा से चला गया। महाराज ने उत्सुकता जताते हुए तेनालीराम से पूछा- "शिल्पी को खाली झोला देने के बावजूद भी वह बिना कुछ कहे ही क्यों चला गया? जबकि इससे पहले उसने हीरे-जवाहरात जैसे कीमती सामान को बहुमूल्य मानने से इनकार कर दिया था।"
महाराज की उत्सुकता शांत करते हुए तेनालीराम ने कहा, “महाराज, वह झोला खाली बिल्कुल भी नहीं था, क्योंकि उसमें दुनिया की सबसे बहुमूल्य वस्तु यानी हवा भरी हुई थी। इस दुनिया में हवा से कीमती और क्या हो सकता है, जिसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते।"
तेनालीराम की बात सुनकर सभी निरुत्तर हो गए। (Fun Stories | Stories)
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